अमर सिंह की मन की मुराद (काय बोलताय)
बहुत दिनों से भाजपा में एंट्री मारने की जुगत में लगे अमर सिंह को तब मन की मुराद मिल गई, जब प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से उनका नाम लिया – कहा रात के अंधेरे में कौन नेता किस उद्योगपति से मिलता है यह बात अमर सिंह से बेहतर कौन जानता है। मोदी का इतना कहना था कि अमर सिंह को संजीवनी मिल गई।
चैनलों पर दे दनादन वे बाइट देने लगे। निशने पर वहीं मुलायम, आजम, रामगोपाल और अखिलेश आ गए। सोशल मीडिया में भी अमर सिंह छा गये। अमर सिंह हैसटैग पर रिएक्शन की भरमार हो गई। गौरव सिंह सेंगर ने कहा- अमर सिह पानी है पानी, कहीं से भी आ जाएंगे। आप दरवाजा बंद करेंगे तो नीचे से आ जाएंगे।
वहां रोकेंगंतो सीलन से टपक जाएंगे। लेकिन आएंगे जरूर। नाम अमर सिंह है। वीरेंद्र पुरी कहते हैं- प्रधानमंत्री का सभा में अमर सिंह का नाम लेना और उसके पहले अमर सिंह का योगी से मिलना…. कुछ तो पक रहा है। श्वेता कह रही है- अरे अमर सिंह को कुछ काम दे दो ताकि वह कपूर का पीछा छोड़े। (आज कल अमर सिंह बोनी कपूर को लिए लखनउ में घूम रहे हैं।
वैसे अमर सिंह का इस तरह से नाम लेने पर पीएम के खिलाफ प्रतिक्रिया भी आई है। झूमका गिरा रे बरेली के बाजार में के टिव्टर अकाउंट से लिखा गया है। तो आप सबसे बड़े दलाल का समर्थन कर रहे हैं। यह दिखाता है कि आप का विश्वास डगमगा रहा है।
आप भी देश को लूटने वालों के साथ हो गए हैं। हिरेन अंटानी कहते हैं- अमर सिंह असमंजस में हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा जिस संदर्भ में उनका जिक्र किया गया, उससे वह खुश होए या दुखी, क्योंकि प्रधानमंत्री ने खुलेआम उनको डीलमेकर बता दिया।
बहरहाल अमर सिंह के नाम की चर्चा फिर शुरू हो गई है। भगवा तो वह पहन चुके हैं, अब देरी भाजपा में एंट्री की की है।
मुजफ्फरपुर रेप कांड और राजनीति
बलात्कार इस धरती पर सबसे धृणित व जघण्य कार्य है। यह व्यवस्थागत त्रुटियों का परिणाम है या कि विकृत मानसिकता का। समाज में जारी नैतिक पतन इसके लिए जिम्मेदार है या राजनीतिज्ञों व अपराधियों की साठगांठ का परिणाम। यह ये सब कारण ही इसके लिए जिम्मेदार है।
सवाल यह भी है कि यदि कारण ज्ञात हैं तो उसका निराकरण क्यों नहीं होता। पर अपराध को उस समय आड़ मिल जाती है जब राजनीतिक ब्यानबाजी घटना की गंभीरता पर छा जाती है। मुजफ्फरपुर कांड में भी यही हो रहा है। जदयू और भाजपा की सरकार पर सवाल करमढ़ने कर आगे निकलने की होड़ मची हुई है।
कांग्रेस के बड़े नेता अशोक गहलोत मुज्फरपुर हैसतैग पर यह कहते हैं- यदि प्रधानमंत्री मन की बात पर गंभीर है तो उन्हें मुजफ्फरपुर में छोटी छोटी बच्चियों से हुए बलत्कार पर भी बात करनी चाहिए। स्मिता बरुआ ने सही कहा है- देखो कहीं राजनीतिक कीचड़बाजी में सही मुद्दा न छुप जाए। मुज्फरपुर के शेल्टरहोम में एक साथ 29 लड़कियों के साथ सरंक्षण के बजाय बलात्कार।
कल्पना भी नहीं कर सकते कि लड़कियां किस मानसिक हालात से गुजरी होंगी। पता नहीं ऐसे कितने और नरक में लड़कियां रह रहीं होगी। अविनाश गौरव ने कटाक्ष किया है- गायों को बचाओं और बच्चियों से बलात्काकर करो।
बकरी से बलात्कार
आदमी का इतना नैतिक पतन हो सकता है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। एक बकरी के साथ सामूहिक बल्तात्कार। बेचारी बकरी की आत्मा यही सोंचती होगी कि आदमी से अच्छे तो पशु हैं कम से कम वहां बलात्कार की कोई गंजाइश ही नहीं। लोगों का गुस्सा चरम पर है। जस्टिस फार गोट हैसटैग पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
अभिशेक मिश्रा लिखते हैं- मैं जस्टिस फाॅर गोट का समर्थन करता हूं। मानसिक विकृति वाले ऐसे लोग को धारा 377 के तहत तुरंत जेल भेज देना चाहिए। यदि ऐसे लोग बाहर घूमते रहे तो हममें से कोई भी सुरक्षित नहीं है।कल्पना अविनाश ने सवाल पूछते हुए कहा- यह घटना बेहद घृणास्पद है। लेकिन उससे भी घृणास्पद है मीडिया की खामोशी। ना तो बालीवूड का कोई शख्स मुंह खोल रहा है न इस पर चैनल कोई डिबेट कर रहा है। पेटा इंडिया भी कहीं और ही व्यस्त है।
वैसे बकरी के बहाने लोगों ने काफी तंज भी कसे हैं।
एक ने लिखा है- बकरियों को बचाओं, उन्हें बुरका पहनाओ। दुर्गा ने लिखा है- बकरी अपनी बेटी से कहती है बकरे जैसे दाढी रखने वाले आदमियों से बच कर रहो। मुकुल बावा ने लिखा है- किसी मस्लिम नेता ने बकरी के साथ बलात्कार करने वाले लोगों के खिलाफ मुंह नहीं खोला है क्या इस्लाम में बकरियों के साथ बलात्कार जायज है।