अपने वादों पर कितने खरे उतरे मोदी ?
सुभाष सिंह
साल 2014 की 26 मई, सोमवार को नरेंद्र मोदी ने 1977 के बाद पूरे बहुमत वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। साल 2016 की 26 मई, गुरुवार को उनके कार्यकाल के दो साल पूरे हो गये।
मोदी अपने वादों पर कितने खरे उतरे, इसके परीक्षण के लिए दो साल का समय ज्यादा नहीं है तो कम भी नहीं।
इन दो सालों में प्रतिबद्ध विरोधियों को छोड़ दें तो हर कोई यह कह सकता है कि मोदी के आने के बाद निराशा के बादल छंटे हैं और इस बात का विश्वास हो चला है कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है, काफी कुछ हो सकता है।
मोदी की दो साल की उपलब्धियों को आकड़ों के आधार पर देखेंगे तो शायद वह काफी बोझिल हो जाएगा।
इसलिए सरकार के कामकाज को ‘परसेप्शन’ (अवधारणा) के आधार पर देखा जाना चाहिए। याद करिये संप्रग के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंतिम दो सालों को। 2 जी घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, कोयला घोटाला, आदर्श सोसाय़टी घोटाला… घोटालों की फेहरिस्त।
क्या मोदी के इन दो सालों में इस तरह के किसी घोटाले की बात सामने आयी ? सरकार अगर भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस को अपनी उपलिब्ध बता रही है तो यह उसका वाजिब हक है।
आदर्श सोसाइटी घोटाले का करीब-करीब निपटारा हो चुका है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाले का मामला जांच के दायरे में है ही।
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कांग्रेस ने कहा मोदी सरकार के दो साल, देश का बुरा हॉल
देश के मुख्य बिरोधी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार के दो साल मैं देश का बुरा हॉल बताया है।
एक बुकलेट के जरिए कार्टून्स की सीरीज जारी कर के पार्टी ने सरकार के नीतियों पर न केबल हमला बोला है इस बुकलेट को एक साथ देश मैं २२ जगहों पर जारी भी किया है ।
इस बुकलेट मैं पार्टी कृषि, अर्थ, भ्रष्ठाचार, कालाधन, इंटरनल सिक्युरिटी, यूथ, स्टूडेंट्स और वुमन सिक्युरिटी अदि 13 मुद्दा उठाया है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश मोदी सरकार से यह जानना चाहता है कि उन्होंने 2 साल में आम आदमी के लिए ऐसा क्या कर दिया जिसका जश्न बनाया जा रहा है। (हमारे सम्बाद दाता)
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कोयला घोटाले में जिनको जेल जाना था, वे गये। कमाल देखिये कि जहां संप्रग के समय एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात आयी थी केंद्र की सरकार ने उसे भारी मुनाफे में बदल दिया।
कोयला खदानों के पारदर्शी आवंटन से देश के खजाने में 3.3 लाख करोड़ रुपये की भारी राशि का इंतजाम हुआ।
उस समय स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ का घोटाला हुआ, इस सरकार की पारदर्शी आवंटन नीति से 1.09 लाख रुपये की आमदनी हुई।
कालेधन और भ्रष्टाचार पर विरोधी दल सरकार को भले ही जीरो अंक दें लेकिन आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर इतनी करारी चोट की।
कैबिनेट की पहली बैठक में कालेधन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी गठित हुई जो संप्रग सरकार ने तीन साल से लटका रखी थी।
सरकार में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार पर ऐसी नकेल कसी गयी कि राजधानी के गलियारों से दलालों की समानांतर व्यवस्था खत्म हो गयी।
आंकड़ों में बताना चाहें तो कह सकते हैं कि पिछले दो सालों में 50 हजार करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गयी।
21 हजार करोड़ रुपये की अघोषित आय का खुलासा हुआ। करीब चार हजार करोड़ रुपये के तस्करी के सामान जब्त कये गये। करीब 1500 मामलों में कानूनी कार्यवाही शुरू हुई।
रीयल स्टेट से लेकर सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के कारण काली कमाई करने वालों के बुरे दिन आ गये। अभी तक किसी ‘जयंती टैक्स’, किसी ‘जयराम टैक्स’ की बात सामने न आना सरकार की बड़ी उपलिब्ध कही जा सकती है।
पर्यावरण मंजूरी के मामले में सरकार का रिकार्ड शानदार है। संप्रग सरकार में ‘सुविधा शुल्क’ के कारण लटके करीब 2000 प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली।
इससे 10 लाख करोड़ के इंवेस्टमेंट का रास्ता खुला। करीब 10 लाख लोगों को नौकरी और रोजगार की राह आसान हुई।
संप्रग सरकार में राष्ट्रीय स्तर पर सडक निर्माण का जो काम कच्छप गति से हो रहा था, उसमें ऐतिहासिक तेजी आयी।
सबसे बड़ी बात यह कि मोदी सरकार काम करती दिख रही है। उसमें पारदर्शिता के साथ गतिशीलता है। उसकी दिशा पूरी तरह जनोन्मुखी और गरीबोन्मुखी है।
आकड़ों में जाएं तो मोदी सरकार की दो साल की उपलब्धियां बेमिसाल हैं।
उसकी जनधन योजना, सामाजिक सुरक्षा की योजनाएं, मुद्रा बैंक योजना, स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और हाल की पांच करोड बीपीएलधारकों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की योजना पर विरोधी भी सवाल नहीं खड़ा कर पा रहे हैं।
स्वच्छ भारत अभियान में दो साल में करीब दो करोड़ टायलेट बनवाये गये। आजादी के बाद किसी पंचवर्षीय योजना में भी इतने टायलेट नहीं बनवाये जा सके।
आजादी के बाद जो गरीब बैंकों में खाता खोलवाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था, ऐसे 21 करोड़ 84 लाख लोगों के खाते जीरो बैलैंस पर खोले गये। इनके खाते में साढ़े 37 हजार करोड़ रुपये जमा भी हैं।
पौने 18 करोड़ रुपे कार्ड जारी किये गये। हर खाताधारक को 30 हजार रुपये की मुफ्त जीवन बीमा का कवर दिया गया। इसी के साथ एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा का कवर मिला। इन्हीं खातों पर पांच हजार के ओवरड्राप्ट की सुविधा मिली।
कांग्रेसी प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि जब दिल्ली से एक रुपया जाता है तो गांव तक पहुंचते-पहुचते 15 पैसा रह जाता है। 85 पैसे बिचौलियों की जेब में जाता है। सरकार की डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की योजना इस लीकेज को खत्म करने की लाजवाब योजना है।
इससे विभिन्न सरकारी योजनाओं में गरीबों को मिलने वाली राशि को सीधे उनके खाते में डालने का काम हुआ।
इससे बिचौलियों का खात्मा तो हुआ ही, गरीबों को उनके हिस्से की राशि पूरी की पूरी मिलनी शुरू हो गयी। सरकार ने गरीबों को जन-धन, आधार और मोबाइल से जोड़ा और सब्सिडी हस्तांतरण की बेहतर व्यवस्था की।
करीब 59 जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सीधे गरीबों के खाते में पहुंचने लगे। इससे अब तक 2100 करोड़ रुपये की बचत हुई। यह ‘पहल’ स्कीम दुनिया की सबसे बड़ी बेनिफिट ट्रांसफर योजना बन गयी। इससे 2014-15 में साढ़े 14 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।
मनरेगा में तीन हजार करोड़ रुपये की लीकेज बंद हुई। केवल हरियाणा में छह लाख नकली केरोसिन लाभार्थी हटाये गये। हरियाणा में ही 4.5 लाख नकली लाभार्थी छात्रों का नामांकन रद हुआ। केरल में शिक्षकों की पारदर्शी नियुक्ति के कारण छह हजार करोड़ रुपये की बचत बतायी गयी।
नमो ने कहा था कि हर भारतीय एक कदम चलेगा तो देश सवा सौ करोड़ कदम चलेगा। मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि तो यही है कि समाज से यह भाव तिरोहित हो रहा है कि सब कुछ सरकार नहीं करेगी। सरकार के भरोसे सब कुछ संभव नहीं है।
सरकार के साथ उसकी योजनाओं में जनभागीदारी मोदी की प्रमुख उपलब्धियों में गिनी जा सकती है।
कभी लाल बहादुर शास्त्री के आह्नान पर देश के लोगों ने अन्न की कमी के कारण एक समय भूखे रहने का संकल्प किया था।
उनके बाद मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर लोगों को अटल विश्वास है तभी तो उनके ‘गिव इट अप’ आह्वान पर एक करोड़ से अधिक भारतीयों ने स्वेच्छा से अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दी।
इन सबसे अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद पूरे विश्व में भारत का नाम महत्व के साथ लिया जाने लगा। अब किसी नवाज शरीफ की भारतीय प्रधानमंत्री पर गांव की घरेलू औरत से तुलना करने की हिम्मत नहीं है।
ओबामा, पुतिन, कैमरन, सी जिनपिंग, शिंजो अबे, फ्रांस्वा ओलांद जैसे राष्ट्राध्यक्ष अब मोदी के कारण भारत को बराबरी का दर्जा देने को विवश हैं।
क्या यह मोदी की उपलब्धि नहीं है ?आखिर इसी को तो अच्छे दिन कहेंगे, इसी को तो कहेंगे सबका साथ, सबका विकास।
(सुभाष सिंह एक बरिष्ठ पत्रकार है । इस समय वह नईदिल्ली से प्रकाशित हिंदी दैनिक स्वदेश के राजनैतिक संपादक हैं। )