अच्छी बारिश के साथ शुरू होगा मॉनसून

monsoon
देवेन्द्र

भारतीय मौसम विभाग ने अपने दूसरे दीर्घावधि पूर्वानुमान में भी दोहराया है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून इस वर्ष बेहतर प्रदर्शन करेगा और देश में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की जाएगी।

गौरतलब यह है कि विगत 2 वर्षों के कमज़ोर मॉनसून के बाद इस वर्ष मॉनसून सीज़न की शुरुआत अच्छी वर्षा के साथ हो चुकी है।

बीते दो वर्षों 2014 और 2015 में कमज़ोर मॉनसून के चलते देश में सूखे जैसे हालात रहे। वर्ष 2014 में सामान्य से 12 प्रतिशत कम जबकि 2015 में सामान्य से 14 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई थी।

इस बार जैसा कि भारतीय मौसम विभाग सहित अन्य सभी एजेंसियां अनुमान लगा रही हैं, मॉनसून सीज़न की बेहतरीन शुरुआत हो गई है। केरल और तटीय कर्नाटक में 26 मई के बाद से लगातार मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की जा रही है।

6 जून से कोंकण गोवा में सहित बारिश का दायरा महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों तक भी पहुँच रहा है। 10 जून को संभावना है कि मायानगरी मुंबई में भी अच्छी बारिश शुरू होगी।

केरल के कोझिकोड, कन्नूर और कसारगोड़ तथा कर्नाटक मंगलुरु और उडुपी में लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि मॉनसूनी हवाओं का प्रवाह पश्चिमी तटों पर पहुँचने लगा है। इसके अलावा लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह भी उन इलाकों में शामिल हैं जहां लगातार वर्षा हो रही है।

गौरतलब है कि अंडमान व निकोबार में मॉनसून का आगाज 18 मई को ही हो चुका है।

यह सर्वज्ञात है कि मॉनसून का सफर हर वर्ष एक सा नहीं रहता है, विशेषकर इसके आगमन के संदर्भ में यह बात और अहम है। यह माना जाता है कि मॉनसून के आगमन के ठीक पहले प्री-मॉनसूनी बारिश की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।

हालांकि प्री-मॉनसून और मॉनसून सीज़न में कभी कभी व्यापक असंतुलन भी देखा जाता है। उदाहरण के तौर पर हम वर्ष 2015 को ही देख लें जब 5 जून को मॉनसून आया था लेकिन मॉनसून के आगमन से पहले प्री-मॉनसूनी बारिश ना के बराबर थी।

भारत में मॉनसून सीज़न जून से सितंबर तक चार माह का होता है जबकि प्री-मॉनसून सीज़न मार्च से मई तक तीन महीने का होता है। इस वर्ष प्री-मॉनसून सीज़न में मार्च में सामान्य बारिश हुई जबकि अप्रैल में मौसम शुष्क रहा। लेकिन मई ने राहत पहुंचाई और इस महीने में देश भर के कई इलाकों में अच्छी प्री-मॉनसून बारिश दर्ज की गई।

दूसरी तरफ जून शुरू होते ही हम मॉनसून सीज़न में प्रवेश कर जाते हैं। भले ही दक्षिण पश्चिम मॉनसून अपने तय समय 1 जून से कुछ विलंब से आए। इसीलिए 1 जून से होने वाली बारिश के आंकड़ों को मॉनसूनी बारिश के आंकड़ों के तौर पर देखा जाता है।

इस समय भारत देश के दोनों पूर्वी और पश्चिम तटों पर बने अलग-अलग मौसमी सिस्टम बने हुए हैं। कर्नाटक के तटों के पास अरब सागर में हवाओं में एक चक्रवाती क्षेत्र मौसम को प्रभावित कर रहा है और धीरे-धीरे सशक्त हो रहा है।

मौसम विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार जल्द ही यह और प्रभावी हो जाएगा। इसके चलते पश्चिमी तटों पर मॉनसूनी हवाएँ सक्रिय बनी हुई हैं जिससे शीघ्र ही मुंबई सहित पश्चिमी तटों पर मॉनसून का आगाज़ होने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।

केरल में मॉनसून के आने की सामान्य तिथि 1 जून है। अब तक केरल में मॉनसून पहुंचा नहीं है लेकिन 8 या 9 जून को यह दस्तक दे सकता है। यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि मॉनसून के आगमन में देरी से इसके प्रदर्शन का कोई सीधा संबंध नहीं है।

इसलिए इस बात के लिए सशंकित रहने की आवश्यकता नहीं कि मॉनसून कमजोर तो नहीं होगा। इस बार के मॉनसून में सामान्य से अधिक लगभग 106% वर्षा दर्ज किए जाने की संभावना है।

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