मोदीके जश्नसे कांग्रेस क्यों परेशान?

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अनिल विभााकर

नरेंद्र मोदी की सरकार ने दो साल पूरे कर लिए।इस अवसर पर उनकी सरकार जगह-जगह विकास पर्व मना रही है ।

पिछले दो साल में मोदी सरकार जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी यह तो विवेचना का विषय है मगर विपक्षी दलों खास कर कांग्रेस का जो रवैया है उससे तो यही लगता है कि केंद्र में सत्तासीन होने के बाद मोदी सरकार ने एक काम ऐसा नहीं किया जिससे उसकी प्रशंसा की जाय।

बौखलाहट में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने मोदी को शहंशाह तक कह डाला। बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में विकास पर्व की अपनी पहली रैली में अपनी सरकार के कामों का हिसाब दिया।कहा  कि मैं अपनी सरकार के काम का दो साल का हिसाब देने आया हूं।

हमारी सरकार में पिछले दो साल में कोई घपला-घोटाला नहीं हुआ जबकि पिछली सरकारों में घपले ही घपले हुए।

रैली में उन्होंने अपनी सरकार के काम भी गिनाए। मोदी सरकार ने इस अल्प समय में कितने काम किए और देश की जनता उनके काम से संतुष्ट है या नहीं इसपर चर्चा हो सकती है मगर ऐसा भाी नहीं है कि इस सरकार ने कोई भाी अच्छा काम नहीं किया।

हां यह बात जरूर है कि इन दो सालों में मोदी विदेशों से कालाधन वापस नहीं ला सके और महंगाई बनी रही।कई बार तो बाजार बेकाबू हो गया।विदेशों से काला धन लाना इतना आसान नहीं है।इसके लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा और निरंतर कोशिशें करनी होगी जिसमें लंबा वक्त लगेगा।

मोदी सरकार इसके लिए प्रयत्न कर रही है इसमें कोई शक नहीं मगर इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने का विपक्ष के लिए यह बड़ा हथियार बना हुआ है ।

आजादी के बाद देश की यह पहली सरकार है जो अपने कामों का हिसाब दे रही है।यह बड़ी बात है। कांग्रेस ने तो ऐसा कभाी नहीं किया।वह हिसाब देने के नाम पर सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के बलिदानों का हिसाब देकर सत्ता पर अपना पुश्तैनी हक जताती है।

कांग्रेस पिछले साठ साल तक देश की सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता का खजाना लूटती रही।अब सत्ता से बेदखल होने के बाद वह मोदी सरकार के पीछे पड़ गई है जिसमें उसके पिछलग्गू वाम दलों का साथ मिल रहा है।

मोदी सरकार ने पिछले दो साल में कई काम किए हैं। मगर लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक जनता का मानस समझ में नहीं आया है। इसलिए रैलियों में वे सीना ठोक कर कह रहे हैं कि उनकी सरकार पर पिछले दो साल में भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा।

हकीकत यह है कि यहां की जनता पिछले साठ साल में भ्रष्टाचार से जूझते-जूझते इस तरह अभयस्त हो चुकी है कि उसके लिए भा्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं रह गया।

अगर यह मुद्दा होता तो भरष्टाचार करने वाले जनता के बीच जाने का साहस नहीं करते।यहां तो हाल यह है कि ईमानदार और दूध का धुला व्यक्ति भाी चुनाव हार जाता है और भ्रष्टाचारी यहां के लोगों को अपना तारनहार लगते हैं।

सच तो यह है कि यहां की जनता ईमानदारी को कोई महत्व देती ही नहीं ।अगर ऐसा नहीं होता तो चारा घोटाले के अपराधी लालू यादव की पार्टी राजद को बिहार विधान सभाा चुनाव में इतनी सीटें मिलतीं ही नहीं कि वह सत्ता में शामिल हो सके ।

अगर ऐसा होता तो अनगिनत घोटालों में लिप्त कांग्रेस जो हाशिए पर पड़ी थी वह बिहार सरकार में भाागीदार नहीं बन पाती।

हकीकत यही है तभाी तो पश्चिम बंगाल में पिछले पांच साल में घोटालों और हिंसा के लिए बुरी तरह बदनाम हो चुकी ममता बनर्जी पर वहां की जनता ने इतना भारोसा किया कि उनके हाथ में बंगाल की सत्ता फिर सौंप दी।

यह अलग बात है कि चुनाव जीत जाने से न तो लालू यादव के चेहरे पर लगी कालिख धुल जाएगी और न ही ममता बनर्जी पाक-साफ मानी जाएंगी।ममता बनर्जी सरकार के कई मंत्री और तृणमूल नेताओं को घोटाले में लिप्त पाए जाने के कारण जेल जाना पड़ा।

इसके बावजूद उनकी पार्टी को चुनाव में फिर बहुमत मिल गया।ममता सरकार में अपराधियों और हिंसा करने वालों का बोलबाला हो गया।

यही काम वहां की पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार करती थी जिससे परेशान होकर बंगाल के लोगों ने ममता बनर्जी के हाथ में सत्ता की बागडोर सौंपी थी मगर ममता ने भाी सरकार चलाने का वही वमपंथी फंडा अपना लिया जिससे पश्चिम बंगाल की हालत में कोई बदलाव नहीं आया।

जहां तक नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज का सवाल है उसने कई ऐसे काम किए जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। मोदी सरकार ने भाारत-बंगलादेश सीमा विवाद हल कर एक बड़ा ऐतिहासिक काम किया ।

भाारत -बंगलादेश सीमा पर कई गांव ऐसे थे जहां के निवासियों को न तो भाारत अपना नागरिक मनाता था और न ही बंगलादेश।आजादी के बाद वे बिना देश के लोग थे।

उनके जीने-खाने और शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। मोदी सरकार ने बंगलादेश से बातचीत कर इस विवाद का हल कर दिया।समझौते के तहत उन गांवों के जिन लोगों को बंगलादेश में रहना पसंद था वे बंगलादेश के नागरिक बन गए और जिन्हें भाारत पसंद था वे भाारतीय नागरिक हो गए।

इस समझौते से वैसे हजारों लोगों को पहचान मिल गई। अब वे मतदान कर सकेंगे,पासपोर्ट बनवाकर विदेश जा सकेंगे, उनके पढ़ने-लिखने,रहने-सहने और रोजी-रोजगार के लिए वह सरकार चिंता करेगी जहां के वे नागरिक हैं।

आजादी के बाद से ऐसे हजारों लोगों के मनावाधिकार का हनन हो रहा था जिसकी चिंता किसी को नहीं थी।

नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसकी चिंता की और समस्या का समाधान किया।यह कम बड़ा काम है क्या? मोदी सरकार ने एक और बड़ा काम किया।उसने पूर्वोत्तर में नगालैंड और मिजोरम में लंबे समय से सक्रिय उग्रवादी संगठन के मुईवा गुट से अहम समझौता किया।

नगालैंड और मिजोरम में सुरक्षाबलों पर हमले कर उग्रवादी म्यांमार के जंगलों में छिप जाते थे। मोदी सरकार ने म्यांमार को विश्वास में लिया और भाारतीय सेना ने वहां के जंगलों में पनाह लेने रहे उग्रवादियों का म्यांमार में घुसकर सफाया किया।दोनों देशों के बीच बनी यह आपसी सहमति एक बड़ा काम है।

आखिर आजादी के बाद सबसे अधिक समय तक राज करने वाली कांग्रेस ने यह काम क्यों नहीं किया? देश की सुरक्षा और संप्रभाुता के लिए यह जरूरी काम नहीं था क्या?

मोदी सरकार जब से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई तब से विदेशों में भाारत की धाक बढ़ी है।इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। इससे पहले ऐसा लगता था कि दुनिया के बड़े देशों के सामने भाारत की कोई हैसियत और इज्जत है ही नहीं।

आज की तारीख में अमेरिका के राष्ट्रपति भाारत को अपना पिछलग्गू नहीं समझ सकते।न ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन भाारत की अनदेखी कर सकते ।नरेंद्र मोदी ने कई देशों से ऐसे संबंध बनाए और समझौते किए कि चीन भाी सहमने लगा है।

आतंकवाद के मुद्दे पर मोदी ने अमेरिका को भाी खरी-खरी सुनाई और चीन को भाी।पाकिस्तान को तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी देश साबित कर दिया।इस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से दहाड़ते हुए कहा कि अतंकवाद की परिभााषा तय करनी होगी ।

अब गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म नहीं चलेगा।अगर ऐसा होता रहा तो दुनिया से आतंकवाद खत्म नहीं होगा ।

जहां तक महंगाई की बात है तो यह कौन कह सकता है कि कांग्रेसनीत मनमोहन सरकार में महंगाई नहीं बढ़ी।

मनमोहन सरकार में महंगाई बढ़ती थी तो कांग्रेस के नेता कहते थे महंगाई कहां है? यदि यह कहा जाय कि देश में महंगाई कांग्रेस सरकार की देन है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मनमोहन सरकार ने पिछले दस साल तक सिर्फ उद्योगपतियों की चिंता की।

देश का बजट आम लोगों के लिए नहीं बनाया। मध्यवर्ग और नौकरीपेशा वाले लोगों को भागवान भारोसे छोड़ दिया।मनमोहन सरकार में भा्रष्टाचार इतना बढ़ा जिसकी कल्पना नहीं कर सकते।उस सरकार से जनता इतनी ऊब गई कि कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई।

सिर्फ सत्ता ही नहीं गई ,लोकसभाा चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई।लगता है इसके बावजूद कांग्रेस के नेताओं और उसके आलाकमान की आंखें अब भाी नहीं खुली हैं।वह इस कदर व्यवहार कर रही है जैसे देश में सरकार चलाना उसका पुश्तैनी हक है।

लेखक हिंदी के वरिष्ठ कवि और वरिष्ठ पत्रकार हैं।राष्ट्रीय हिंदी दैनिक जनसत्ता के रायपुर संस्करण और हिंदी दैनिक नवभाारत के भुबनेश्वर संस्करण के संपादक रह चुके हैं । इसके अलाबा हिंदुस्तान के पटना संस्करण में दो दशक तक वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं । इस लेख में दिए गए बिचार उनके निजस्व हैं ।