आगे सड़क पर दौड़ेंगी ज्यादा इलेक्ट्रीक कारें!
विक्रम उपाध्याय
पूरी दुनिया का पेट्रोलियम भ्ंडार सिमटता जा रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले दिनों में फिर से पेट्रोल – डीजल के दाम बढ़ने वाले हैं। गैस भी सस्ती नहीं रहेगी।
उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कुछ ही वर्षों में सहज उपलब्ध तेल के कुएं समाप्त हो जाएंगे और अब डीप ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी के जरिए ही तेल निकाला जा सकेगा।
गैस भी अब दूर रिमोट एरिया में ही मिलेंगी, जिनकी ढुलाई का खर्च ज्यादा आएगा।
तेल निकालने और इसके शोधन के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी की बड़ी कंपनी सीमेंस का भी कहना है कि आने वाले दिनों में पेट्रोलियम इंडस्ट्री और लागत वाली हो जाएगी। इस स्थिति से दुनिया के सभी प्रमुख देश अवगत हैं।
इसलिए पेट्रोलियम के विकल्प पर तेजी से काम हो रहा है। सौर उर्जा और बैट्री चालित उपकरणों की तेजी से बाजार में इंट्री हो रही है। सबसे अधिक ऑटो इंडस्ट्री में काम हो रहा है।
अमरीका, जापान, जर्मनी और दक्षिण कोरिया की लगभग सभी प्रमुख ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रीक व्हेकिल बनाने में जुट गई हैं।
कहा तो यह जा रहा है कि भले ही वर्ष 2020 तक रोड पर चलने वाली 3 फीसदी गाडि़या ही इलेक्ट्रीक होंगी, लेकिन वर्ष 2030 तक रोड पर दौड़ने वाली 70 फीसदी इलेक्ट्रीक कारें ही होंगी।
इस समय दुनिया में इलेक्ट्रीक कारों के दो वेरियंट पर काम हो रहा है। पहला है हाईब्रीड इलेक्ट्रीक व्हेकिल और दूसरा प्लग इन इलेक्ट्रीक व्हेकिल।
हाईब्रीड इलेक्ट्रीक व्हेकिल का मतलब है कि यह मुख्य रूप से बैट्री पर ही चलेगी, लेकिन इसमें परंपरागत रूप से पेट्रोल, डीजल या गैस इंधन का भी ऑपशन होगा ताकि बैट्री के डिस्चार्ज होने पर चार्जिंग स्टेशन तक गाड़ी को ले जाया जा सके।
लेकिन प्लग इन इलेक्ट्रीक व्हेकिल में बैट्री के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा और रास्ते में बैट्री समाप्त हो जाने की स्थिति में केवल टो करके की गाड़ी चार्जिंग स्टेशन तक जा पायेगी।
चूंकि ग्लोबल वार्मिंग के विरुद्ध अभियान में इलेक्ट्रीक व्हेकिल्स सबसे बड़ा योगदान करने वाले हैं, इसलिए पूरी दुनिया में इस बात की अब होड़ लग गई है कि इलेक्ट्रीक व्हेकिल्स के बाजार पर कब्जा कौन करे।
क्योंकि इस बाजार की अभी विकास दर लगभग 40 फीसदी है। विकास की रफ्तार के कई कारण हैं- बैट्री की लागत लगातार कम होती जा रही है।
कई ऐसी गाडि़यों की टेस्टिंग चल रही हैं जिनमें एक बार बैट्री चार्ज करने के बाद 300 मिल तक की यात्रा पूरी की जा सकती है।
कई ऐसी कंपनियंा बाजार में आने को तैयार बैठी हैं जो गैस स्टेशन की तरह सुपर चार्जर स्टेशन का नेटवर्क बिछाने वाली हैं। यानी बैट्री फटाफट चार्ज या बदलने की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
अमरीका में तो अभी से ही टेस्ला ने सुपर चार्जर नेटवर्क बिछा लिए हैं।
कार के उपर बैट्री चार्ज करने के लिए जो सोलर पैनेल लगाए जाएंगे उनकी कीमत भी काफी कम हो रही है। जीरो इमिशन के कारण इसकी मांग तेजी से बढ़ने वाली है। ओर सबसे बड़ी बात इलेक्ट्रीक गाडि़यों की कीमत भी सामान्य कारों की तुलना में कुछ कम ही रहने वाली है।
टेस्ला ने अपनी इलेक्ट्रीक सुपर सेडॅान की कीमत लगभग 64 हजार डॉलर यानी लगभग 43 लाख रुपये रखी है। यानी इस समय के बीएमडब्लू या मर्सिडिज सेडॉन के बराबर। भारत में भी जल्दी ही उपलब्ध होगी इलेक्ट्रीक कॉर अमरकी कंपनी टेस्ला भले ही इलेक्ट्रीक कार बाजार में लीड ले चुकी है।
लेकिन उसे जल्दी ही जेनरल मोटर्स और फॅाक्स बैगन समेत कई ऑटों कपनियों से कम्पीटिशन मिलने वाला है।
फॉक्स वैगन के प्रबंधन ने यह एैलान कर दिया है कि वर्ष 2018 तक कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रीक कार मैन्यूफैक्चरर बन जाएगी। जेनरल मोटर ने ऐलान किया है िकवह हर सेगमेंट व प्राइस रेंज की इलेक्ट्रीक कार बनाएगी।
ये दोनों कंपनियं भारत में काम कर रही हैं और इनके लिए भारत बहुत बड़ा बाजार है।
ये हैं कुछ सुपर इलेक्ट्रीक कार मॉडल्स
पिक्चर 1- ऑडी ए 3 ई ट्रान
कीमत लगभग 37 हजर डॉलर बैट्री के साथ साथ गैसोलिन का भी विकल्प
2 बीएमडब्लू आई 3
प्योर इलेक्ट्रीक, कीमत लगभग 43 हजार डॉलर
3 बीएम डब्लू आई 8
सुपर लक्जरी कार, कीमत लगभग एक लाख 37 हजार डॉलरं। बैट्री के साथ गैसोलिन का भी विकल्प
4 बीएमडब्लू एक्स 5
कीमत लगभग 34 हजार डॉलर। बैट्री के साथ गैसोलिन का विकल्प
5 कैडिलैक ईएलआर
सुपर लक्जरी कार। कीमत लगभग 76 हजार डॉलर। बैट्री के साथ गैसोलिन का विकल्प
6 शेवरलेट स्पार्क ईवी
कीमत 26 हजार डॉलर। प्योर इलेक्ट्रीक। कम ईधन में ज्यादा चलने वाली गाड़ी
7 फीएट 500 ई
खूबसूरत मिनी कार। प्योर इलेक्ट्रीक। कीमत 32600 डॉलर।
8 हुंडई सोनाटा प्लग इन हाईब्रिड
कीमत लगभग 37500 डॉलर। बैट्री के साथ गैसोलिन का विकल्प